भूपेंद्र हुड्‌डा का रास्ता साफ हुआ - CM कुर्सी का दावा ठोका था

हरियाणा कांग्रेस में टिकटों पर मंथन को लेकर दिल्ली में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को बड़ा झटका लगा है। कमेटी ने तय किया है कि पार्टी के सिटिंग सांसद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

भूपेंद्र हुड्‌डा का रास्ता साफ हुआ - CM कुर्सी का दावा ठोका था

हरियाणा कांग्रेस में टिकटों पर मंथन को लेकर दिल्ली में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को बड़ा झटका लगा है। कमेटी ने तय किया है कि पार्टी के सिटिंग सांसद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसकी पुष्टि मीटिंग के बाद पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया ने खुद की है। उन्होंने बयान दिया है कि किसी भी सिटिंग MP या राज्यसभा सांसद को चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा। ये चुनाव के दौरान प्रचार-प्रसार में भूमिका निभाएंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि कमेटी के इस फैसले को सख्ती से लागू किया जाएगा। हालांकि, फाइनल फैसला पार्टी आलाकमान का ही होगा। स्क्रीनिंग कमेटी के इस फैसले से सीएम कुर्सी को लेकर भूपेंद्र हुड्‌डा का रास्ता साफ हो गया है।

कुमारी सैलजा ने कुछ दिन पहले ही दलित मुख्यमंत्री के नाम पर CM कुर्सी का दावा ठोका था। वह सिरसा से लोकसभा सांसद हैं, जबकि रणदीप सुरजेवाला राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। दरअसल, हरियाणा में विधानसभा चुनाव की डेट घोषित हो चुकी है। कांग्रेस में आज से टिकटों को लेकर मंथन शुरू हो गया है। इसी को लेकर स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग चेयरमैन अजय माकन की अध्यक्षता में दिल्ली में बुलाई गई थी। इस मीटिंग में दीपक बाबरिया भी शामिल हुए थे। सैलजा ने दलित CM बनने की दावेदारी पेश की थी हरियाणा चुनाव के बीच 3 दिन पहले सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने कांग्रेस सरकार बनने पर CM कुर्सी पर दावा ठोक दिया था। कुमारी सैलजा ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा, ''लोगों की व्यक्तिगत और जातीय आधार पर महत्त्वाकांक्षा होती है, मेरी भी है। मैं राज्य में काम करना चाहती हूं। विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हूं। हालांकि अंतिम फैसला हाईकमान करेगा।'' सैलजा ने बयान दिया था, कि देश में अनुसूचित जातियों ने कांग्रेस को बड़ा समर्थन दिया है। जब दूसरी जातियों के नेता मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो फिर अनुसूचित जातियों से क्यों नहीं।

      सैलजा ने सीधे तौर पर हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनने पर दलित सीएम की दावेदारी पेश कर दी। CM फेस को लेकर कॉन्ट्रोवर्सी जारी कांग्रेस में CM फेस को लेकर पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा और कुमारी सैलजा के बीच लगातार कॉन्ट्रोवर्सी चल रही है। गुटबाजी के कारण ही कांग्रेस के हरियाणा में 10 साल सत्ता से बाहर है। 2014 में कांग्रेस 15 और 2019 में 31 सीटें ही जीत पाई थी। 2014 में भाजपा ने बहुमत की सरकार बनाई तो 2019 में JJP के साथ गठबंधन कर सरकार बना कांग्रेस को झटका दे दिया। विधानसभा पर ही फोकस था सैलजा का हरियाणा में हुड्डा की ही तरह कुमारी सैलजा भी खुद को CM कैंडिडेट प्रोजेक्ट करने की कोशिश में लगी हुई हैं। बताया जाता है कि वह लोकसभा चुनाव न लड़कर विधानसभा चुनाव पर ही फोकस करना चाहती थीं, लेकिन आलाकमान ने उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया। सैलजा हरियाणा में पार्टी का दलित चेहरा हैं।

इनके राज्य के करीब 11 फीसदी वोटर 9 विधानसभा सीटों पर सीधा-सीधा असर डालते हैं। साथ ही वह महिला चेहरा भी हैं। ऐसे में राज्य की महिला वोटर्स का भी समर्थन उन्हें मिल सकता है। कुमारी सैलजा सोनिया गांधी की करीबी मानी जाती हैं और उनके पिता चौधरी दलवीर सिंह भी हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। शायद यही वजह है कि कांग्रेस आलाकमान ने फिलहाल दोनों में से किसी एक गुट का न तो समर्थन किया है, न ही किसी एक चेहरे पर चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले भी हुड्डा और सैलजा ने अलग-अलग यात्राएं निकाली थीं। बावजूद इसके कांग्रेस इन दोनों नेताओं के बीच के विवाद को नहीं सुलझा पाई, या ये कहें कि पार्टी इस विवाद को सुलझाना ही नहीं चाहती। भाजपा ने सोशल मीडिया पर तंज कसा हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस में छिड़ी ‘जंग’ पर BJP ने भी चुटकी ले ली है। BJP ने X पर राहुल गांधी को लेकर भी कटाक्ष किया है। पोस्ट में लिखा, 'राहुल गांधी एससी वर्ग का खूब पक्ष रख रहे हैं। भाजपा ने तो पिछले वर्ग के नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया। राहुल गांधी, कुमारी सैलजा को हरियाणा से मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित करें, ताकि पता चले कि वे समाज के कितने शुभचिंतक हैं।' बुधवार को सुबह की गई भाजपा की यह पोस्ट दिनभर राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बनी रही। कांग्रेस ने भाजपा की इस पोस्ट पर पलटवार किया है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने भाजपा की पोस्ट पर सवाल दागते हुए कहा, 'क्या भाजपा ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरा पहले घोषित किया था। क्या भाजपा ने 2014 में मनोहर लाल को हरियाणा का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था? ऐसे में कांग्रेस क्यों पहले मुख्यमंत्री नाम का ऐलान करे।' दीपेंद्र भी CM की दौड़ में पूर्व सीएम के सांसद पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा को भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में माना जाता है। हुड्डा पहली बार 2005 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। 2009 में उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और कांग्रेस ने दूसरी बार सत्ता हासिल की। 2014 का चुनाव भी हुड्डा के नेतृत्व में ही लड़ा गया, लेकिन इस बार कांग्रेस पंद्रह सीटों पर सिमट गई। इस बार के चुनावों में केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा तथा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला भी CM पद की दौड़ में हैं। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव भी अहीरवाल की चौधर का नारा देते रहे हैं।

ट्रेजडी किंग बने बीरेंद्र सिंह वर्षों तक कांग्रेस में सक्रिय रहे चौ. बीरेंद्र सिंह को हरियाणा की राजनीति का ‘ट्रेजडी किंग’ कहा जाता है। वह भी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में शामिल रहे। 2014 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली। भाजपा ने उन्हें केंद्र में हेवीवेट मंत्री तो बनाया, लेकिन मुख्यमंत्री बनने का सपना भाजपा में भी पूरा नहीं हो पाया। ऐसे में बीरेंद्र सिंह अब परिवार सहित कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। अब वह अपने बेटे व पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं। चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान बीरेंद्र सिंह पहले ही कर चुके हैं।