15 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर एक हुए गोपाल कांडा और अभय चौटाला

हरियाणा की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। नामांकन के अंतिम दिन आज इनेलो ने हलोपा में गठबंधन हो गया है। चौटाला परिवार ने 15 साल पुरानी दुश्मनी भूलाकर गोपाल कांडा से हाथ मिला लिया है। भाजपा ने गोपाल कांडा से गठबंधन को कोई फैसला नहीं किया और सिरसा में अपना उम्मीदवार उतार दिया।

15 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर एक हुए गोपाल कांडा और अभय चौटाला

हरियाणा की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। नामांकन के अंतिम दिन आज इनेलो ने हलोपा में गठबंधन हो गया है। चौटाला परिवार ने 15 साल पुरानी दुश्मनी भूलाकर गोपाल कांडा से हाथ मिला लिया है। भाजपा ने गोपाल कांडा से गठबंधन को कोई फैसला नहीं किया और सिरसा में अपना उम्मीदवार उतार दिया। इसके बाद हलोपा और इनेलो में वार्ता आगे बढ़ी और सिरे चढ़ गई। अभय चौटाला आज सिरसा में गोपाल कांडा के आवास पर गए और गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया। गोपाल कांडा सिरसा में गठबंधन के उम्मीदवार होंगे। गोपाल कांडा सिरसा के लगातार 2 बार विधायक रह चुके हैं।

तीसरी बार वह मैदान में है। इससे पहले भाजपा के साथ गठबंधन की उनकी बातचीत चल रही थी मगर अंत तक बातचीत सिरे नहीं चढ़ी। इसके कारण गोपाल कांडा ने पहले अकेले लड़ने का फैसला लिया और फिर अचानक इनेलो से समझौता कर सबको चौका दिया। बता दें कि गोपाल कांडा गीतिका शर्मा सुसाइड मामले से चर्चा में आए थे और तिहाड़ जेल की सजा काट चुके हैं, हालांकि कोर्ट से अब वह बरी हो चुके हैं। हरियाणा के 2 मुख्यमंत्री गठबंधन चाहते थे, शीर्ष नेतृत्व राजी नहीं हुआ खट्टर किया था प्रयास मगर कांडा की छवि से पीछे हटाना पड़ा बता दें कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले हलोपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे। पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल ने इसके लिए प्रयास किए थे।

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लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने ऐसा नहीं होने दिया। तब उमा भारती ने ट्वीट कर 'स्वच्छ' छवि वाले नेताओं से समर्थन लेने की सलाह दी थी। 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग को दिए गए गोपाल कांडा के हलफनामे के मुताबिक, उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने, आपराधिक साजिश, जालसाजी, धोखाधड़ी और चेक बाउंस समेत 9 आपराधिक मामले विभिन्न अदालतों में लंबित थे। हालांकि, चुनाव के बाद भी गोपाल कांडा ने बेशर्मी से हरियाणा की मनोहर सरकार का समर्थन किया था जो बहुमत से कम रही थी। नायब सैनी घर तक गए, गठबंधन की बात कही थी वहीं मुख्यमंत्री नायब सैनी सिरसा दौरे के दौरान कई बार कांडा बंधुओं से मिले। विधायक गोपाल कांडा के आवास पर भी गए।

नायब सैनी ने मीडिया तक में यह बयान दिया कि हरियाणा में भाजपा गोपाल कांडा की हलोपा के साथ मिलकर भाजपा चुनाव लड़ेगी। गोपाल कांडा की हलोपा (हरियाणा लोकहित पार्टी) एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का हिस्सा भी है। वहीं गोपाल कांडा ने पिछले दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं भाजपा के हरियाणा प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से भी मुलाकात की थी और एनडीए के हिस्से के तौर पर 15 सीटें मांगी थीं। मगर कांडा के बढ़ते दवाब और शीर्ष नेतृत्व के राजी नहीं होने से गठबंधन पर बात सिरे नहीं चढ़ी। दोस्ती, दुश्मनी और फिर दोस्ती की दिलचस्प है कहानी... किसी समय सिरसा में रेडियो रिपेयरिंग का काम करने वाले कांडा की किस्मत तब पलटी जब उन्होंने सिरसा में ही जूते-चप्पल की दुकान खोली। इस दुकान के बाद कांडा ने कभी मुड़कर नहीं देखा और उसके बाद हवाई जहाज तक का सफर तय किया। राजनीति में भी धाक जमाते हुए वह राज्य में मंत्री तक बने। आज कांडा का गोवा में बिग डैडी नाम से कैसीनो चलता है।

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उन्हें गोवा का कैसीनो किंग भी कहा जाता है। एक समय कांडा का कैसीनो गोवा में समुद्र के अंदर खड़े रहने वाले शिप पर चलता था। गोपाल कांडा की कंपनी मैसर्स गोल्डन ग्लोब होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के इस शिप में उनका कैसीनो रियो चलता था। यह शिप गोवा की मंडोवी नदी में खड़ा रहता था। चौटाला परिवार के करीब रहे, फर्श से अर्श तक पहुंचे कांडा के करोड़पति बनने का असली सफर साइबर सिटी गुरुग्राम से वर्ष 2000 के आसपास शुरू हुआ। उस समय राज्य में ओमप्रकाश चौटाला की अगुवाई में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) की सरकार थी।

उस समय कांडा INLD सुप्रीमो चौटाला के बेहद करीब थे। चौटाला सरकार के दौरान ही कांडा ने सिरसा जिले में तैनात रहे एक IAS अफसर से हाथ मिलाया। उसी समय सिरसा में तैनात रहा वह आईएएस अफसर भी गुरुग्राम में हुडा प्रशासक लग गया। उससे दोस्ती का फायदा उठाते हुए कांडा ने गुरुग्राम में प्लाटों की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी। चौटाला सरकार में कांडा के राजनेताओं से अच्छे संबंध बन गए। यह वो दौर था जब गुरुग्राम तेजी से डवलप हो रहा था और बड़ी-बड़ी कंपनियां वहां अपने कार्पोरेट दफ्तर खोल रही थी। गोपाल कांडा को इस डवलपमेंट का जमकर फायदा मिला। बड़े चौटाला को नोटों से तोला हरियाणा की सियासत में गोपाल कांडा का नाम उस समय चर्चा में आया, जब 2004 के विधानसभा चुनाव से पहले सिरसा पहुंचे तत्कालीन मुख्यमंत्री ओपी चौटाला को कांडा ने नोटों की गड्डियों से तोला। कांडा ने तत्कालीन CM चौटाला को सिरसा के शहीद भगत सिंह चौक में नोटों से तोला था। ऐसी चर्चा रही कि कांडा ने तब चौटाला के वजन के बराबर तराजू में 80 लाख रुपए रखे थे। यह खबर अखबारों में खूब सुर्खियां बनी। उसके बाद ही सिरसा के लोगों को पहली बार गोपाल कांडा के होने का एहसास हुआ।

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2009 में निर्दलीय चुनाव लड़ा ​​​​​​, हुड्‌डा का बन गए खास 2004 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी, इनेलो हार गई और राज्य में भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी। कहा जाता है कि आज साइबर सिटी के नाम से मशहूर गुरुग्राम को बनाने का श्रेय काफी हद तक हुड्‌डा को ही जाता है। बिजनेस की अच्छी समझ रखने वाले गोपाल कांडा ने जल्दी ही हुड्‌डा सरकार में भी अपनी पैठ बना ली। इसके साथ ही वह धीरे-धीरे इनेलो से दूर होते चले गए। वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा ने सिरसा सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और हुड्‌डा सरकार में उद्योग मंत्री रहे लक्ष्मण दास अरोड़ा को हराकर विधानसभा पहुंचे। उस दौर में सियासत में यह चर्चा आम थी कि लक्ष्मण दास अरोड़ा को हराने और गोपाल कांडा को जिताने में तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं ने ही अहम भूमिका निभाई। कांडा का धन-बल भी बड़ा फैक्टर रहा। कांग्रेस के लिए विधायक जुटाए और गृहमंत्री बन गए 2009 के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की अगुवाई में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया। तब कांग्रेस ने 40 सीटें जीती और इनेलो 32 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। गोपाल कांडा ने उस समय के सियासी हालात का फायदा उठाते हुए निर्दलीय जीतने वाले पांच-छह विधायकों को रातों-रात साधते हुए उनका समर्थन हुड्‌डा को दिलवा दिया। लगातार दूसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने कांडा को बतौर इनाम अपनी कैबिनेट में शामिल करते हुए गृह राज्यमंत्री की कुर्सी दी।

अप्रैल 2010 में कांडा और इनेलो नेता भिड़े 2009 के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की अगुवाई वाली हरियाणा सरकार में गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा की तूती बोलती थी जिसकी वजह से वह कांग्रेस के ही कुछ नेताओं को खटकने लगे। इस सब से बेपरवाह कांडा ने सिरसा में भी अपना कद काफी बड़ा कर लिया था। उस दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा जब भी सिरसा पहुंचते तो इनेलो उनका तगड़ा विरोध किया करती थी। अप्रैल 2010 में तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की सिरसा में जनसभा थी। इसके विरोध में इनेलो नेताओं ने जबरन बाजार बंद करवाना शुरू कर दिया। इसका पता चलते ही गोपाल कांडा खुद बाजार में पहुंच गए। वहां गोपाल कांडा की इनेलो नेताओं से तीखी बहस हो गई और नौबत मारपीट तक पहुंच गई।

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इसके बाद कांडा के सुरक्षा गार्डों ने इनेलो नेताओं को बीच बाजार जमकर पीटा और उनके कपड़े तक फाड़ डाले। उसके बाद सिरसा का पूरा बाजार खुल गया। पिता के नाम पर एयरलाइंस कंपनी खोली गोपाल कांडा ने 2008 में अपने पिता मुरलीधर लख राम के नाम पर गुड़गांव से MDLR एयरलाइंस कंपनी की शुरुआत की। हालांकि, बाद में उन्होंने ये कंपनी बंद कर दी। इस दौरान कांडा की करीब 40 दूसरी कंपनियां चलती रहीं। कांडा की एयरलाइंस कंपनी में एयरहोस्टेस रही गीतिका ने जब सुसाइड किया तो तब हरियाणा के अलावा केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी।

यह विवाद इतना उछला कि कांडा का मंत्रिपद चला गया और उन्हें 18 महीने तिहाड़ जेल में काटने पड़े। गीतिका सुसाइड केस में नाम आया था, तिहाड़ जेल में सजा काटकर आए 2012 में एयर होस्टेस गीतिका सुसाइड केस में भी गोपाल कांडा नाम सामने आया था। यह केस करीब 11 साल तक चला और इसमें गोपाल कांडा निर्दोष साबित हुए थे। कांडा इस मामले में 18 महीने जेल में भी रह चुके हैं। गीतिका विधायक कांडा की एयरलाइंस में एयर होस्टेस के तौर पर काम करती थी। उसने 23 साल की उम्र में 5 अगस्त, 2012 को दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने ही फ्लैट में सुसाइड कर लिया था। गीतिका के परिवार ने गोपाल कांडा पर गीतिका को परेशान करने का आरोप लगाते हुए उसे ही मौत का जिम्मेदार बताया था।