राव इंद्रजीत ने CM कुर्सी पर दावा ठोका, बोले- लोग चाहते हैं मैं मुख्यमंत्री बनूं

हरियाणा चुनाव के बीच केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने CM कुर्सी पर दावा ठोक दिया है। राव इंद्रजीत ने इशारों में कहा- ''यहां की जनता चाहती है कि मैं सीएम बनूं। अगर यहां की जनता ने भाजपा का साथ न दिया होता तो मनोहर लाल खट्टर 2 बार हरियाणा के सीएम न बनते।

राव इंद्रजीत ने CM कुर्सी पर दावा ठोका, बोले- लोग चाहते हैं मैं मुख्यमंत्री बनूं

हरियाणा चुनाव के बीच केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने CM कुर्सी पर दावा ठोक दिया है। राव इंद्रजीत ने इशारों में कहा- ''यहां की जनता चाहती है कि मैं सीएम बनूं। अगर यहां की जनता ने भाजपा का साथ न दिया होता तो मनोहर लाल खट्टर 2 बार हरियाणा के सीएम न बनते।'' राव इंद्रजीत सिंह ने यह भी कहा कि आज चुनाव नायब सैनी जी के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है। शीर्ष नेतृत्व ने भी यह बात कही है। दरअसल, राव इंद्रजीत सिंह सोमवार को भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह यादव का नामांकन दाखिल करने रेवाड़ी पहुंचे थे। नामांकन दाखिल करने के बाद मीडिया से बात करते हुए राव इंद्रजीत सिंह ने कहा- लक्ष्मण सिंह पहले प्रत्याशी हैं जिन्होंने दक्षिणी हरियाणा में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर आज नामांकन दाखिल किया है।

दक्षिणी हरियाणा में अभी कई सीटें बची हुई हैं। नूंह जिले में अभी 3 सीटें बची हुई हैं। राव इंद्रजीत सिंह की 3 अहम बातें 1. बागी नेताओं को भी चुनाव लड़ने का अधिकार टिकट बंटवारे के बाद बागी हुए नेताओं पर राव इंद्रजीत सिंह ने कहा- कुछ लोगों ने जरूर बागीपन किया है, लेकिन इस तनाव को खत्म करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि टिकट कटने के बाद बागी हुए लोगों को चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन पार्टी को सोचना होगा कि उन्हें पार्टी में किसने शामिल करवाया। जब पार्टी को यह संकेत मिल गया था कि टिकट नहीं मिलने पर वे बागी होकर लड़ेंगे, तो यह सोचने वाली बात है। 2. 75 पार के नारे को हंसी में उड़ाया मीडिया ने राव इंद्रजीत सिंह से पिछली बार की तरह 75 पार के नारे का जिक्र किया, तो उन्होंने इसे हंसी में उड़ा दिया।

 राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि अभी इस पर कुछ नहीं कह सकते। उन्होंने कहा कि वे लक्ष्मण सिंह यादव का नामांकन भरवाने के लिए कार्यकर्ता के तौर पर आए हैं। हमारा प्रयास उन्हें यहां से जिताकर भेजने का है। उन्होंने कहा कि चुनाव में अभी काफी समय है। चुनाव ऐसा है कि एक सप्ताह पहले तक किसी को कुछ पता नहीं चलता। 3. कैप्टन अजय यादव भी साधा निशाना राव इंद्रजीत सिंह ने मीडिया से बात करते हुए हरियाणा के पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव पर भी निशाना साधा। दरअसल, सोमवार को ही हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा कैप्टन अजय सिंह यादव के पुत्र चिरंजीव राव का रेवाड़ी सीट से नामांकन दाखिल कराने के लिए पहुंचे थे। जब राव इंद्रजीत सिंह से भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा और कैप्टन अजय सिंह यादव को लेकर सवाल किया गया तो राव ने कहा-हुड्‌डा साहब आज उनके पक्ष में नामांकन कराने आ रहे है। लेकिन कैप्टन अजय सिंह यादव उनके पक्ष में रहेंगे या नहीं रहेंगे ये भविष्य में तय होगा। पहले भी सीएम पद का किया था दावा लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राव इंद्रजीत सिंह ने 7 जून को कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीएम पद पर दावा पेश किया था।

 राव इंद्रजीत सिंह ने कहा था- हमें हरियाणा चुनाव की तैयारी करनी है। जो हमसे नाराज हैं, उन्हें मनाना है। हमें दक्षिणी हरियाणा के जरिए सत्ता में आना है। एकजुट रहकर ही हम मजबूत बने रहेंगे। पैतृक सीट से बेटी आरती राव को मैदान में उतारा राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को पार्टी ने इस बार अटेली विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा हैं। अटेली राव इंद्रजीत सिंह की एक तरह से पैतृक सीट रही है। अटेली से खुद उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह विधायक रह चुके हैं। आरती राव को राव इंद्रजीत सिंह ने उत्तराधिकारी घोषित किया हुआ है। आने वाले समय में आरती राव ही अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए दिखाई देगी। 11 सीटों पर राव परिवार का दबदबा रामपुरा हाउस यानी राव इंद्रजीत सिंह के परिवार का अहीरवाल बेल्ट की 11 सीटों पर दबदबा है। इनमें गुरुग्राम, रेवाड़ी, नूंह और महेंद्रगढ़ जिलों की अलग-अलग विधानसभा सीटें शामिल हैं।

 दशकों तक इन सीटों पर रामपुरा हाउस का दबदबा रहा, लेकिन पिछले कुछ सालों में इन सीटों पर रामपुरा हाउस की पकड़ कमजोर होती चली गई। इसकी एक झलक पिछले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिली थी। राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक सुनील मूसेपुर को अपने गृह जिले रेवाड़ी की विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव में खुद राव इंद्रजीत सिंह के सामने खड़ी चुनौती ने इसे और गहरा कर दिया था। गुरुग्राम सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर के खिलाफ राव इंद्रजीत सिंह कांटे की टक्कर में फंस गए थे। पिछले दो चुनावों में लाखों वोटों से जीतने वाले राव इंद्रजीत सिंह की जीत का अंतर इस बार करीब 70 हजार रह गया था।