हरियाणा विधानसभा भंग करने की सिफारिश, कैबिनेट की मंजूरी
हरियाणा की BJP सरकार ने चुनाव के बीच विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी है। इसके लिए बुधवार शाम को कैबिनेट की अर्जेंट मीटिंग बुलाई गई थी। जिसमें विधानसभा भंग करने की सिफारिश को मंजूरी दी गई। इस पर गवर्नर की मुहर के लिए CM नायब सैनी को रात करीब साढ़े 9 बजे गवर्नर से मिलना था।
हरियाणा की BJP सरकार ने चुनाव के बीच विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी है। इसके लिए बुधवार शाम को कैबिनेट की अर्जेंट मीटिंग बुलाई गई थी। जिसमें विधानसभा भंग करने की सिफारिश को मंजूरी दी गई। इस पर गवर्नर की मुहर के लिए CM नायब सैनी को रात करीब साढ़े 9 बजे गवर्नर से मिलना था। हालांकि गवर्नर के बाहर होने की वजह से सैनी की मुलाकात कल तक के लिए टल गई है। अब सीएम सुबह साढ़े नौ बजे के करीब गवर्नर हाउस जाएंगे। प्रदेश में चुनाव के बीच ऐसी स्थिति बनने की वजह विधानसभा सत्र बुलाने का संवैधानिक संकट है। संविधान के मुताबिक अधिकतम 6 महीने के भीतर विधानसभा का एक सत्र बुलाना अनिवार्य है। नायब सैनी के सीएम बनने के बाद 6 महीने खत्म होने की आखिरी तारीख 12 सितंबर है।
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अब चुनाव के बीच सत्र बुलाना संभव नहीं है। बुधवार शाम हुई अर्जेंट मीटिंग में कृषि मंत्री कंवरपाल गुर्जर, स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता, लोक निर्माण मंत्री डॉ बनवारी लाल, शहरी निकाय मंत्री सुभाष सुधा, परिवहन मंत्री असीम गोयल, खेल मंत्री संजय सिंह शामिल रहे। गवर्नर के मंत्रिमंडल की विधानसभा भंग करने को मंजूरी देने के बाद भी नायब सैनी कार्यवाहक CM के तौर पर काम करते रहेंगे। प्रदेश में केयरटेकर सरकार चलेगी। सरकार कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले सकेगी। विधानसभा भंग करना ही सिंगल ऑप्शन विधायी एवं संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार का कहना है कि बेशक चुनाव आयोग ने 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी हो, फिर भी सरकार सत्र बुला सकती है। उनका कहना है कि 14वीं हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर 2024 तक है। इसका पिछला विशेष सत्र 1 दिन का बुलाया गया था। वह विशेष सत्र 13 मार्च 2024 को बुलाया गया था। उसमें CM ने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ अपना बहुमत साबित किया था।
इसके बाद उन्होंने कोई सत्र नहीं बुलाया। हेमंत कुमार कहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 174(1) की सख्त अनुपालना में मौजूदा विधानसभा का एक सत्र भले ही 1 दिन या आधे दिन की अवधि का ही क्यों न हो, वह आगामी 12 सितंबर 2024 से पहले बुलाना अनिवार्य है। क्योंकि, 6 माह के अंदर दूसरा सत्र बुलाना ही होता है। क्या कहता है संविधान संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि पिछले सत्र की अंतिम बैठक और अगले सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए। सरकार की ओर से पिछली कैबिनेट बैठक में मानसून सत्र पर कोई फैसला नहीं लिया गया था। ऐसे में अब सरकार के पास हरियाणा विधानसभा को समयपूर्व भंग करने के लिए राज्यपाल से सिफारिश करना ही एकमात्र विकल्प बचा था। हरियाणा में संवैधानिक संकट का कारण हरियाणा में चुनाव की घोषणा के बाद संवैधानिक संकट खड़ा हुआ है। इसकी वजह 6 महीने के भीतर एक बार विधानसभा सेशन बुलाना है।
राज्य विधानसभा का अंतिम सेशन 13 मार्च को हुआ था। उसमें नए बने CM नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था। इसके बाद 12 सितंबर तक सेशन बुलाना अनिवार्य है। यह संवैधानिक संकट ऐतिहासिक भी है, क्योंकि देश आजाद होने के बाद कभी ऐसी स्थिति नहीं आई। हरियाणा में ही कोरोना के दौरान भी इस संकट को टालने के लिए 1 दिन का सेशन बुलाया गया था। 6 माह में सत्र न बुलाने का इतिहास में उदाहरण नहीं है। 5 अक्टूबर को होगी वोटिंग राज्य में इस समय 14वीं विधानसभा चल रही है। 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है। 5 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर को काउंटिंग होगी। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है।