संवैधानिक संकट में फंसे हरियाणा CM ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले BJP विधानसभा भंग करने की योजना बना रही है। इसे लेकर मुख्यमंत्री नायब सैनी इसी हफ्ते कैबिनेट मीटिंग बुलाने की तैयारी कर रहे हैं। अगस्त की चौथी कैबिनेट मीटिंग में 12 सितंबर से पहले विधानसभा का मानसून सत्र बुलाने या विधानसभा भंग करने को लेकर फैसला लिया जाएगा। सरकार के सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के अफसर इसे लेकर संविधान विशेषज्ञों से भी राय शुमारी कर रहे हैं। फिलहाल, सरकार किसी भी तरह मानसून सत्र बुलाने को तैयार नहीं है।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले BJP विधानसभा भंग करने की योजना बना रही है। इसे लेकर मुख्यमंत्री नायब सैनी इसी हफ्ते कैबिनेट मीटिंग बुलाने की तैयारी कर रहे हैं। अगस्त की चौथी कैबिनेट मीटिंग में 12 सितंबर से पहले विधानसभा का मानसून सत्र बुलाने या विधानसभा भंग करने को लेकर फैसला लिया जाएगा। सरकार के सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के अफसर इसे लेकर संविधान विशेषज्ञों से भी राय शुमारी कर रहे हैं। फिलहाल, सरकार किसी भी तरह मानसून सत्र बुलाने को तैयार नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द होने वाली कैबिनेट मीटिंग में हरियाणा विधानसभा भंग करने का फैसला हो सकता है। हरियाणा में संवैधानिक संकट का कारण हरियाणा में चुनाव की घोषणा के बाद संवैधानिक संकट खड़ा हुआ है। इसकी वजह 6 महीने के भीतर एक बार विधानसभा सेशन बुलाना है। राज्य विधानसभा का अंतिम सेशन 13 मार्च को हुआ था।
उसमें नए बने CM नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था। इसके बाद 12 सितंबर तक सेशन बुलाना अनिवार्य है। यह संवैधानिक संकट ऐतिहासिक भी है, क्योंकि देश आजाद होने के बाद कभी ऐसी स्थिति नहीं आई। हरियाणा में ही कोरोना के दौरान भी इस संकट को टालने के लिए 1 दिन का सेशन बुलाया गया था। 6 माह में सत्र न बुलाने का इतिहास में उदाहरण नहीं संविधान के जानकार मानते हैं कि वैसे तो यह महज कागजी औपचारिकता है, लेकिन संवैधानिक तौर पर अनिवार्य होने से इसे हर हाल में पूरा करना होगा। ऐसी सूरत में भी सेशन न बुलाया गया हो, ऐसा कोई उदाहरण देश में नहीं है। 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक राज्य में इस समय 15वीं विधानसभा चल रही है। 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है।
इसका नोटिफिकेशन 5 सितंबर को जारी होगा। 1 अक्टूबर को वोटिंग और 4 अक्टूबर को काउंटिंग होगी। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है। संविधान में सेशन बुलाने के क्या नियम पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के मुताबिक, संविधान के अनुच्छेद 174(1) में उल्लेख है कि विधानसभा के 2 सत्रों के बीच 6 महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए। इसलिए, 12 सितंबर तक विधानसभा का सत्र बुलाना अनिवार्य है। भले ही वह एक दिन की अवधि का ही क्यों न हो। एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार, यदि 12 सितंबर से पूर्व कैबिनेट की सिफारिश पर राज्यपाल विधानसभा को समय पूर्व भंग कर देते हैं तो आगामी सत्र बुलाने की आवश्यकता नहीं होगी।
विधानसभा का यह सत्र इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि राज्यपाल से कुल 5 अध्यादेश (ऑर्डिनेंस) भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 (1) में जारी कराए गए हैं। अगर विधानसभा को समय पूर्व भंग कर दिया जाता है तो इन 5 अध्यादेशों की वैधता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार को राज्यसभा चुनाव का इंतजार था हरियाणा में दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा सांसद बनने के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट अब भाजपा के खाते में आ चुकी है। इस सीट पर BJP उम्मीदवार किरण चौधरी निर्विरोध जीत चुकी हैं। यदि BJP राज्यसभा चुनाव से पहले विधानसभा भंग करती तो संवैधानिक संकट खड़ा हो जाता। लेकिन, अब इस सीट पर निर्विरोध चुनाव संपन्न हो चुके हैं। ऐसे में BJP अब विधानसभा भंग करने की तैयारी कर रही है। एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि अगर राज्यसभा उप-चुनाव से पहले विधानसभा भंग हो जाती तो यह चुनाव ही रद्द करने पड़ते, क्योंकि तब कोई विधायक नहीं रहता।