हरियाणा के धागे से बनी जैकेट पहनते हैं PM:प्लास्टिक की खाली बोतलों से तैयार होता है; अमेरिका समेत 4 बड़े देशों में डिमांड

आप अक्सर सफर करते समय प्लास्टिक की बोतल में पानी पीकर उसे फेंक देते हैं। कभी राह चलते सड़कों पर तो कभी रेलवे ट्रैक पर। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि यह प्लास्टिक की बोतल कितनी उपयोगी और फायदेमंद है। जी हां, आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे जब आपको इसके इस्तेमाल करने के बारे में पता चलेगा।

हरियाणा के धागे से बनी जैकेट पहनते हैं PM:प्लास्टिक की खाली बोतलों से तैयार होता है; अमेरिका समेत 4 बड़े देशों में डिमांड

आप अक्सर सफर करते समय प्लास्टिक की बोतल में पानी पीकर उसे फेंक देते हैं। कभी राह चलते सड़कों पर तो कभी रेलवे ट्रैक पर। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि यह प्लास्टिक की बोतल कितनी उपयोगी और फायदेमंद है। जी हां, आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे जब आपको इसके इस्तेमाल करने के बारे में पता चलेगा। यह कोई साधारण चीज नहीं है, बल्कि इसी प्लास्टिक से बनाए गए धागे से बनी जैकेट को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहनते हैं। जैकेट को पहनकर नरेंद्र मोदी संसद पहुंचकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संदेश भी दे चुके हैं। ऐसा ही धागा पानीपत में प्लास्टिक की बोतलों को री-साइकिल कर बनाया जाता है। धागे के उत्पादों की विदेशों में भी मांग रहती है। पानीपत के इस धागे से बने उत्पादों को अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया यूरोपीय देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है।

कैसे बनता है प्लास्टिक से धागा पानीपत के बड़े उद्योगपति राकेश मुंझाल बताते हैं कि पानी, कोल्ड ड्रिंक या किसी अन्य बोतल को री-साइकिल कर पहले सफेद रंग का प्लास्टिक दाना और चिप बनाई जाती है। उसके बाद इस दाने को अलग-अलग यूनिट में भेजकर प्लास्टिक की सीट बनाई जाती है। प्लास्टिक सीट को रेग मशीन में डालकर फाइबर तैयार कर लिया जाता है। इसके बाद इसे धागा बनाने वाली मिल में भेजा जाता है। फिर धागा बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। क्या है धागा बनाने की प्रक्रिया धागा बनाने वाले प्लांट में इस प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ मिक्सचर मशीन में डाला जाता है। मिक्सचर मशीन से निकलने के बाद यह कन्वेयर बेल्ट से होते हुए फिल्टर मशीन में पहुंचता है। फिल्टर से वेस्ट निकलने के बाद यह फाइबर पाइप लाइन में से होता हुआ धागा बनाने वाली मशीन में जाता है। इसके बाद ऑटोमेटिक स्पिनिंग मिल्स की इस मशीन से एक फाइबर की पट्टी तैयार होती है।

यह फाइबर की पट्टी दूसरी मशीन से होते हुए फिर कन्वेयर बेल्ट पर पहुंचती है। फिर यह फाइबर की पट्टी स्पिनिंग मशीन की रोलिंग पर पहुंचती है। इसके बाद एक बारीक सा पेट यार्न तैयार होकर बाइंडिंग मशीन पर पहुंचता है। बाइंडिंग के बाद ऑटोमेटिक मशीन के साथ मीटर के हिसाब से धागे को रोल कर लिया जाता है। इसके बाद धागे को पैक कर डिलीवरी के लिए भेजा जाता है। कहां होता है प्लास्टिक से बने उत्पादों का इस्तेमाल उद्योगपति राकेश मुंझाल बताते हैं कि प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ 20% से 25% तक मिलाकर धागा तैयार किया जाता है। इस धागे की क्वालिटी भी बेहतर होती है। आजकल यह धागा जुराब, टी-शर्ट और सूटिंग-शर्टिंग के कपड़े के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। पानीपत में इसका उपयोग ज्यादातर बेडशीट, बाथ मेट, परदे, आदि बनाने में किया जा रहा है। पर्यावरण साफ रखने के साथ ही होता है मुनाफा उद्योगपतियों ने यह भी माना है कि प्लास्टिक से धागा बनने से पर्यावरण तो साफ होगा ही, और साथ में मुनाफा भी होगा।

प्रधानमंत्री ने प्लास्टिक से बनी जैकेट को पहनकर संसद में लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया था। साथ ही लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक भी किया था। वहीं, दूसरी ओर लोग खाली प्लास्टिक की बोतलों को फेंकने के बजाय उन्हें बेचकर मुनाफा भी कमा सकेंगे। प्लास्टिक से बने धागों की मांग बढ़ी डोमेस्टिक मार्केट के साथ एक्सपोर्ट मार्केट में भी लगातार पेट यार्न की मांग बढ़ रही है। उद्योगपतियों का कहना है कि पानीपत में भी प्लास्टिक की बोतलों के प्लास्टिक के फाइबर से धागे बनाने की कई यूनिट हैं। एक्सपोर्ट के साथ-साथ डोमेस्टिक मार्केट में रोजाना मांग बढ़ रही है। बीते कुछ समय में री-साइक्लिंग धागे और उससे बने उत्पादों का बाजार 2000 करोड़ तक पहुंच गया है। क्या होता है पेट यार्न प्लास्टिक की बोतलों को री-साइकिल कर इससे बने धागे को पेट यार्न कहा जाता है।

पेट से मतलब प्लास्टिक हैं और यार्न का मतलब धागा। पानीपत में प्लास्टिक की बोतलों को री-साइकिल कर बने फाइबर से पेट यार्न बनाने की करीब 7 से 8 इकाइयां हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इन यूनिटों में हर रोज करीब 20 हजार किलो पेट यार्न का उत्पादन होता है। त्रिपुरा के पूर्व CM बिप्लब देब भी कर चुके तारीफ पानीपत जिले में री-साइकिल हुई प्लास्टिक की जैकेट के नेता मुरीद हो रहे हैं। त्रिपुरा के पूर्व CM बिप्लब देब भी इस जैकेट को पहन कर तारीफों के पुल बांध चुके हैं। उन्होंने जैकेट पहनकर कर कहा था कि मुझे यह उपहार में दी गई। री-साइकिल प्लास्टिक से पानीपत (हरियाणा) में बनी जैकेट को पहन कर मैंने दिन की शुरुआत की है। यह जैकेट काफी आरामदायक है और मैं प्लास्टिक री-साइक्लिंग के क्षेत्र में काम कर रहे प्रत्येक व्यक्ति की सराहना करता हूं।

इन देशों से होती है डिमांड उद्योगपति राकेश मुंझाल बताते हैं कि धागे के उत्पादों का विदेशों में भी बोलबाला है। पानीपत के इस धागे से बने उत्पाद को अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा वेस्ट प्लास्टिक की बोतल से बने हुए धागे की जैकेट पहनने के बाद इसकी डिमांड और ज्यादा बढ़ेगी। यह धागा पारंपरिक धागे से काफी सस्ता और टिकाऊ है। जब से खुद PM मोदी ने इस जैकेट को पहना और संदेश दिया है, तब से इस धागे की डिमांड में कई गुना इजाफा हुआ है। पानीपत में करीब 70 इंडस्ट्रियों में धागा बनता है। इस धागे को यहां से विदेशों में भी सप्लाई किया जाता है।