श्रीगणेश: बुद्धि और विद्या के देवता

प्राचीन संस्कृत काव्य और शास्त्रों में श्रीगणेश की पूजा का अत्यधिक महत्व बताया गया है। आदि कवि वाल्मीकि ने श्रीगणेश की वंदना करते हुए कहा है कि वह चौंसठ कोटि विद्याओं के दाता हैं और देवताओं के आचार्य बृहस्पति को भी विद्या देने वाले हैं।

श्रीगणेश:  बुद्धि और विद्या के देवता

श्रीगणेश: बुद्धि और विद्या के देवता

श्रीगणेश, जिसे गणपति और विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके नाम में 'गण' का अर्थ है अंकों का समूह, और 'ईश' का अर्थ है स्वामी। इस प्रकार, गणेश का मतलब हुआ 'अंकों का स्वामी' या 'गणों का देवता', और यही कारण है कि उन्हें बुद्धि और विद्या का दाता माना जाता है।

श्रीगणेश की पूजा का महत्व

प्राचीन संस्कृत काव्य और शास्त्रों में श्रीगणेश की पूजा का अत्यधिक महत्व बताया गया है। आदिकवि वाल्मीकि ने श्रीगणेश की वंदना करते हुए कहा है कि वह चौंसठ कोटि विद्याओं के दाता हैं और देवताओं के आचार्य बृहस्पति को भी विद्या देने वाले हैं। वाल्मीकि ने श्रीगणेश को द्विरद, कवि और कवियों की बुद्धि के स्वामी के रूप में वर्णित किया है, और इसलिए उन्होंने श्रीगणेश को प्रणाम किया है। यह दर्शाता है कि गणेशजी की पूजा करने से व्यक्ति को हर प्रकार की विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।

श्रीगणेश और बुद्धि: एक योगिक दृष्टिकोण

श्रीगणेश की कृपा से तीव्र बुद्धि और असाधारण प्रतिभा प्राप्त होती है, और इसका वैज्ञानिक और योगिक आधार है। योगशास्त्र के अनुसार, हमारे शरीर में छह चक्र होते हैं, जिनमें सबसे पहला चक्र ‘मूलाधार चक्र’ होता है। मूलाधार चक्र का देवता श्रीगणेश हैं। यह चक्र रीढ़ की हड्डी के मूल में, गुदा से दो अंगुल ऊपर स्थित होता है, और इसमें जीवन की शक्ति अव्यक्त रूप में रहती है।

इस चक्र के मध्य में श्रीगणेश विराजमान होते हैं, और इसे ‘गणेश चक्र’ कहा जाता है। इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करने से कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होती है, जो स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्ध और आज्ञा चक्र में प्रविष्ट होकर सहस्त्रार चक्र में परमशिव के साथ मिल जाती है। इस मिलन का अर्थ है सिद्धियों की प्राप्ति। अत: मूलाधार चक्र की सिद्धि प्राप्त करने से असाधारण प्रतिभा प्राप्त होती है।

श्रीगणेश की पूजा के लाभ

श्रीगणेश की पूजा करने से न केवल बुद्धि और विवेक की वृद्धि होती है, बल्कि संपूर्ण जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आते हैं। गणेशजी की पूजा का विधान प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है और इसे विधिपूर्वक करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

  1. प्रात:काल ध्यान: विद्या प्राप्ति के इच्छुक व्यक्तियों को प्रात:काल श्रीगणेश का ध्यान और निम्न श्लोक का पाठ करना चाहिए:

    प्रात: स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं
    सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम्
    उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड-
    माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम्।।
    • इसका अर्थ है—“मैं प्रात:काल श्रीगणेश का स्मरण करता हूँ, जो अनाथों के बन्धु हैं और जिनके गाल सिन्दूर से शोभित हैं। वे प्रबल विघ्नों का नाश करने में समर्थ हैं और इन्द्रादि देवताओं द्वारा वन्दनीय हैं।”

    • बुधवार को पूजा: बुधवार को गणेशजी की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस दिन स्नान करके, पीले वस्त्र पहनकर पूजा करें। पूजा स्थल पर गणेशजी की तस्वीर या मूर्ति को पूर्व दिशा में स्थापित करें। उन्हें रोली, चावल, और यदि संभव हो तो दो दूब चढ़ाएं।

    • भोग और अर्चना: श्रीगणेश को बेसन के लड्डू प्रिय हैं, लेकिन अगर ये उपलब्ध नहीं हैं, तो गुड़ या बताशे का भोग भी चढ़ा सकते हैं। एक दीपक जलाकर धूप दिखाएं और उन्हें एक श्लोक बोलकर मन से प्रार्थना करें:

    • मौली और दूर्वा: पूजा के बाद एक पीली मौली गणेशजी को अर्पित करते हुए कहें—‘करो बुद्धि का दान हे विघ्नेश्वर।’ उस मौली को माता-पिता या गुरु के पैर छूकर अपने हाथ में बांध लें। श्रीगणेश पर चढ़ी दूर्वा को अपने पास रखें, जिससे एकाग्रता बढ़ती है।

    • गणेश मंत्र: ‘ॐ गं गणपतये नमः’ इस गणेश मंत्र का 108 बार जाप करने से बुद्धि तीव्र होती है। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ भी विद्या, बुद्धि, विवेक और एकाग्रता में वृद्धि करता है।

    तोहि मनाऊं गणपति हे गौरीसुत हे।
    करो विघ्न का नाश, जय विघ्नेश्वर हे।।
    विद्याबुद्धि प्रदायक हे वरदायक हे।
    रिद्धि-सिद्धिदातार जय विघ्नेश्वर हे।।

    अर्थ:

    1. "तोहि मनाऊं गणपति हे गौरीसुत हे।"

      • अर्थ: मैं तुम्हारी पूजा करता हूँ, गणपति, जो गौरी के पुत्र (पार्वती के पुत्र) हैं।
    2. "करो विघ्न का नाश, जय विघ्नेश्वर हे।।"

      • अर्थ: कृपया मेरे जीवन से सभी विघ्न (अवरोध और बाधाएं) को दूर करें। जय हो विघ्नेश्वर (विघ्नों के नाशक) की।
    3. "विद्याबुद्धि प्रदायक हे वरदायक हे।"

      • अर्थ: आप ज्ञान और बुद्धि देने वाले हैं और सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले वरदाता हैं।
    4. "रिद्धि-सिद्धिदातार जय विघ्नेश्वर हे।।"

      • अर्थ: आप रिद्धि (समृद्धि) और सिद्धि (सफलता) देने वाले हैं। जय हो विघ्नेश्वर की।

    निष्कर्ष

    श्रीगणेश की पूजा न केवल बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है। गणेशजी की आराधना करने से व्यक्ति को जीवन की हर मुश्किल का सामना करने की शक्ति मिलती है और उसके जीवन में हर क्षेत्र में समृद्धि आती है। गणेशजी की उपासना से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और व्यक्ति को एकाग्रता, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है, जो उसकी सफलता की कुंजी है।