रास्ते में खड़े वाहनों से एंबुलेंस सेवा प्रभावित

हिसार | नागरिक अस्पताल में पार्किंग व्यवस्था सुधारने की जरूरत है। जगह-जगह बैरियर लगाने के बावजूद जगह-जगह अवैध पार्किंग जोन बने हुए हैं। इससे लाइफ-लाइन कहलाने वाली एंबुलेंस सेवा प्रभावित होने लगी है। चाहे इमरजेंसी वार्ड के सामने वाला रास्ता हो या फिर प्रसूता वार्ड यानी मेटरनिटी वार्ड की तरफ जाने वाला मुख्य रास्ता। यहां वाहनों के खड़े रहने से आवाजाही प्रभावित होती है। सबसे ज्यादा परेशानी का सामना प्रसूता वार्ड की तरफ जाने वाले रास्ते पर करना पड़ता है। स्थिति यह कि कभी तो एंबुलेंस को आने-जाने के लिए रास्ता तक नहीं मिल पाता है। गर्भवती को लाने व डिलीवरी के बाद जच्चा-बच्चा को घर छोड़ने या हायर सेंटर पर रेफर करने के दौरान एंबुलेंस रास्ता बाधित होने पर खड़ी रहती है। जिस वाहन चालक का जहां मन किया, वहीं पार्किंग करके चला जाता है। इसके लिए मरीज-तीमारदार नहीं बल्कि डॉक्टर्स व स्टाफ भी जिम्मेदार हैं। इस समस्या के समाधान को लेकर काफी बार एंबुलेंस चालक भी हेल्थ अफसरों को मामले से अवगत करवा चुके हैं मगर समस्या जस की तस है। हालांकि पीएमओ डॉ. रतना भारती के संज्ञान में मामला है जिसके बाद समस्या के समाधान की उम्मीद है।

रास्ते में खड़े वाहनों से एंबुलेंस सेवा प्रभावित
हिसार | नागरिक अस्पताल में पार्किंग व्यवस्था सुधारने की जरूरत है। जगह-जगह बैरियर लगाने के बावजूद जगह-जगह अवैध पार्किंग जोन बने हुए हैं। इससे लाइफ-लाइन कहलाने वाली एंबुलेंस सेवा प्रभावित होने लगी है। चाहे इमरजेंसी वार्ड के सामने वाला रास्ता हो या फिर प्रसूता वार्ड यानी मेटरनिटी वार्ड की तरफ जाने वाला मुख्य रास्ता। यहां वाहनों के खड़े रहने से आवाजाही प्रभावित होती है। सबसे ज्यादा परेशानी का सामना प्रसूता वार्ड की तरफ जाने वाले रास्ते पर करना पड़ता है। स्थिति यह कि कभी तो एंबुलेंस को आने-जाने के लिए रास्ता तक नहीं मिल पाता है। गर्भवती को लाने व डिलीवरी के बाद जच्चा-बच्चा को घर छोड़ने या हायर सेंटर पर रेफर करने के दौरान एंबुलेंस रास्ता बाधित होने पर खड़ी रहती है। जिस वाहन चालक का जहां मन किया, वहीं पार्किंग करके चला जाता है। इसके लिए मरीज-तीमारदार नहीं बल्कि डॉक्टर्स व स्टाफ भी जिम्मेदार हैं। इस समस्या के समाधान को लेकर काफी बार एंबुलेंस चालक भी हेल्थ अफसरों को मामले से अवगत करवा चुके हैं मगर समस्या जस की तस है। हालांकि पीएमओ डॉ. रतना भारती के संज्ञान में मामला है जिसके बाद समस्या के समाधान की उम्मीद है।